Sunita gupta

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हाथों की रेखाएं


हाथों की रेखाएं
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हाथों की रेखाओं  पर मुझे कभी यकीन नही हुआ ।कर्म सदा ही से मैने।
जीवन का आधार माना ।
हाथों की रेखाएं तो बहुत कुछ 
कहती है यारों ,पर कभी भरोसा 
न करना प्यारे ,कर्मशील हमेशा 
बनना,कर्म ही प्रधान मानना दोस्तो ,
मंजिल हमेशा कर्म करने से ही मिलती है दोस्तों , क्योंकि जिसने रेखाओं पर अपना जीवन समर्पित किया ।बो हमेशा ही रोता रहा ।कभी खिलखिला
कर अपने जीवन मे हस न पाया दोस्तों
इसलिए कर्म को अपना आधार बनाए रखें , क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती है  यारों ।
जीवन को खुशहाल रखने का मूलमंत्र 
है हथेली की रेखाओं पर भरोसा न करके , कर्मशील बनो ,हमेशा जिंदगी मे मुस्कुराते रहोगे ।स्वस्थ रहोगे ।
सुनीता गुप्ता ,कानपुर उत्तर प्रदेश

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8 Comments

Swati chourasia

22-Sep-2022 04:37 PM

बहुत खूब

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बहुत ही सुंदर और प्रेरित करती हुई कविता है,,,, बेहतरीन,,, वो,,, हँस,, होगा जी

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Milind salve

21-Sep-2022 09:54 PM

बहुत खूब

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